15 ऊके गोड़े बढ़िया पीतल जैसे हते जैसे अबई भट्टी में से कड़े होबें; और उनकी बोली पानू की धारा के बोल जैसी हती।
फिन मैंने एक बली सरगदूत हां बादल ओढ़ के सरग से उतरत तको, ऊके मूड़ पै मेघधनुष हतो: और ऊ को मों सूरज घांई हतो और ऊके गोड़े आगी के खम्भा जैसे हते।
और सरग से मोहां एक ऐसी आवाज आई, मानो जैसे पानू की बिलात धार हो और ऊके संग्गै गरजबे की आवाज ऐसी सुनी जैसे कोऊ वीणा बजात होबे।
फिन मैंने एक बड़ी आवाज सुनी मानो जैसे पानू के बहबे और भयंकर गरजबे कौ होबे, कि हल्लिलूय्याह, ई लाने कि हमाओ परमेसुर महाबली राज करत आय।
और थुआतीरा की मण्डली के दूत हां ऐसो लिखो, कि, परमेसुर को पूत जी की आंखें आगी की लपटें जैसी आंय, और जीके गोड़े उम्दा पीतल जैसे आंय, ऐसो कैत आय।