13 दूसरे दिना सोई पूरी पिरजा के पुरखन के घराने के खास खास मान्स और याजक और लेवीय जनें, एज्रा शास्त्री के लिगां ब्यवस्था के बचन हों और गहराई से जानबे हों इकट्ठे भए।
तब सब जनें खान, पियन लगे और दूसरन हों सोई खाबे, पीबे, भोजन बस्तें पठैबे और बड़ो आनंद मनाबे हों चले गए, कायसे जो बचन उनहों समझाए गए हते, उनहों बे समज गए हते।