ऐई उपज सें उन राजाओं हों जिनहों तेंने हमाए पापों के कारन हमाए ऊपर ठैराओ आय, मुतकौ धन मिलत आय; और बे हमाए सरीरों और हमाए पसुअन पै अपनी अपनी इच्छा के अनसार पिरभुता जतात आंय, ई लाने हम बड़े संकट में पड़े आंय।”
परन्त जौन कनानी गेजेर में बसे हते उनहों एप्रैमियों ने उतै सें नें काड़ो, ई लाने बे कनानी उनके मजारें आज के दिना लौ बसे आंय, और बंधुआ मज़दूर के जैसे काम करत आंय।