3 कछु तौ कैत हतेे, “हम अपने अपने खेत, दाख के बगीचे और घरों हों अकाल के कारन गिरवी रखत आंय कि हमें नांज मिलै।”
आजई उनहों उनके खेत, और दाख और जैतून के बगीचा, और घर फेर दो; और जो रुपईया, नांज, नओ दाखमधु, और जैतून कौ तेल तुम उनसें लेत आव, ऊकौ सौवां भाग फेर देओ?”
कछु तौ कैत हते, “हम अपने मोंड़ा-मोंड़ियों समेंत मुतके जनें आंय, ई लाने हमें नांज मिलो चईये कि ऊहों खाकें हम जियत रएं।”
फिन कछु जौ कैत हतेे, “हमने राजा कौ कर चुकाबे के लाने अपने अपने खेत और दाख के बगीचे पै रुपईया उधार लए।