42 पै जो कोऊ ई छोटन में से जौन मोरे ऊपर बिसवास करत आंय, कोऊहां ठोकर खबाए तो ऊके लाने भलो जौ आय कि एक बड़ी चकिया कौ पाट ऊके गले में लटकाओ जाय और ऊहां समुन्दर में फें क दओ जाए।
पर ऐसो न होय कि हम उन के लाने ठोकर कौ काम करबें, ई लाने तें तला में जाके बंसी डाल, और जौन मछरिया पेंला निकले, ऊहां ले; तो ऊको मों खोलबे पे तोय एक सिक्का मिल है, ऊहां लैके मोरे और अपने बदले उन हां दे दईयो।
पर जो कोऊ इन हल्के में से जौन मोय पे भरोसा करत आंय एक हां ठोकर खिलाए, ऊके लाने सही होतो, कि ऊके घींच में चक्की कौ भारी पाट लटकाओ जातो, और ऊहां समुन्दर की तरी में डुबो दओ जातो।
सो हे भईया हरौ, मैं तुम से बिन्तवाई करत आंव, कि जौन मान्स ऊ सीख के बिरुद्ध जौन तुम ने सीखी आय, फूट डालबे और ठोकर खिलाबे के काजें कछु करें, उन हां ताड़ लए करे; और उन से दूर रओ।