तब बो जाके अपने से बिलात बुरई सात आत्मन हां अपने संग्गै ले आत आय, और ब ऊ में पिड़के उते रहन लगत आंय, और ऊ मान्स की दसा पेंलई से बुरई हो जात आय; ई बुरई पीढ़ी के लोगन के संग्गै भी ऐसई हुईये।
ऊने उन से कई, अपने भरोसे की कमी से: कायसे मैं तुम से सांची कहत आंव, अगर तुमाओ भरोसा राई के दाने के बरोबर भी होबै, तो ई पहरवा से कै हौ, कि इते से हटके उते चलो जा, तो बो चलो जै है; और कोई बात तुमाए लाने अनहोनी न हुईये।
तब बो जाके अपने से भी बुरई और सात आत्माओं हां अपने संग्गै ले आत आय, और बे ऊ में पिड़ के बस जात आंय, और ऊ मान्स की बाद की दसा पेंला से भी बुरई हो जात आय।