18 जां कऊं बा ऊहां पकड़त आय, उतईं पटक देत आय: और ऊ मों में फैन भर लाऊत, और दांत पीसत, और सूकत जात आय; और मैंने तोरे चेलन से कओ हतो कि बे ऊहां निकाल देबें लेकिन बे निकाल नईं पाए।
मैं तुम से सांची कैत आंव, कि जो कोऊ ई पहरवा से कैबे; कि तें उखड़ जा, और समुन्दर में गिर पड़, और अपने मन में संका न करै, बल्कि आभास करै, कि जो कछु कैत आंव ऊ हो जै है, तो ऊके लाने ओई हुईये।
बे समुन्दर में जैसे हिलकोरे आत आंय, और उनको फेन मानो उन हां सरम आबेवारी बातें आंय, बे मानो हिलबेवारे तारों जैसे आंय, इनहां नरक के अंधयारे में डालो जै है।