12 ऊ ने अपनी आत्मा में हाय भर के कओ, ई समय के मान्स काय निसानी ढूंड़त आंय? मैं तुम से सांची कैत आंव, कि ई समय के लोगन हां कौनऊं निसानी नईं दई जै है।
तब कछु शास्त्री और फरीसियन ने ऊसे कई, हे गुरू, हम तोसे एक चिन्ह देखबो चाहत आंय।
बुरय और व्यभिचारी ई जुग में चिन्ह खोजत आंय पर यूनुस के चिन्ह हां छोड़ ऊहां और कोऊ चिन्ह नईं दओ जै है, और बो उन हां छोड़के चलो गओ।
और ऊ ने उनके मन की कड़ाई से उदास होकें, गुस्सा से चारऊ तरपी तको, और ऊ मान्स से कओ, अपनो हाथ बढ़ा ऊ ने हाथ बढ़ाओ, और ऊकौ हाथ ठीक हो गओ।
और ऊ ने उनके अबिसवास पै अचम्भा करो और चारऊ तरफ के गांवन में उपदेस करत फिरो।
और सरग कोद हां तक के सांस लई, और ऊसे कओ; इप्फत्तह, यानी खुल जा।
और ऊ उने छोड़ के फिन नाव पै चढ़ गओ और ऊ पार चलो गओ।
जौ सुनके ऊ ने उन से उत्तर देके कओ: हे अबिसवासी लोगो, मैं कब लौ तुमाए संग्गै रै हों? और कब लौ तुमाई सै हों? ऊहां मोरे ऐंगर ले आओ।
जब बो ऐंगर आओ तो नगर हां तक के ऊ पे रोओ।