31 फिन ऊ सूर और सैदा के देशन से कड़ के दिकपुलिस देश से होत भओ, गलील की झील पै पोंचो।
हाय खुराजीन; हाय, बैतसैदा; कायसे जौन चमत्कार के काम तुम में करे गए, अगर बे सूर और सैदा में करे जाते, तो टाट ओढ़ के, और राख में बैठ के, बे कब के मन फेर लेते।
ऊ ने गलील की झील के किनारे निंगत भए ऊने दो भईयन हां शमौन जो पतरस कहाऊ त हतो, और ऊके भईया अन्द्रियास हां झील में जाल डारत तको; कायसे बे ढीमर हते।
और गलील और दिकापुलिस और यरूशेलम और यहूदिया और यरदन नदिया के पार से भीड़ की भीड़ ऊके पाछें चली आई।
ऊ जाके दिकपुलिस नगर में ई बात कौ परचार करन लगो, कि यीशु ने मोरे लाने कैसे बड़े काम करे; और सबरे अचम्भा करत हते।
फिन ऊ उतै से उठके सूर और सैदा के देशन में आओ; और एक घर में गओ, और चाहत हतो, कि कोऊ न जान पाबै, लेकिन ऊ छिप न सको।
और ऊ ने अपने घरै आके तको कि मोंड़ी खटिया पै पड़ी आय, और बुरई आत्मा कड़ गई आय।