ईपै यहोवा परमेसुर ने सुख दैबेवारी सुगन्ध पाकें सोचो, “कि मान्स के कारन मैं फिन कभऊं धरती हों स्राप नें दैहों, जबकि मान्स के मन में बचपन सें जो कछु पैदा होत आय ऊ बुरओ ही होत आय; तब भी जैसो मैंने सबरे जीवों हों अब मारो आय, बैसो उनहों फिन कभऊं नें मारहों।
यीशु ने उन से कओ; तुम तो मान्सन के सामूं अपने आप हां धरमी ठैरात आव: पर परमेसुर तुमाए हिया हां जानत आय, कायसे जौन बस्त मान्सन के लेखे जसवारी आय, बो परमेसुर के लेखे ओछी आय।
जब लग बा तोरे ऐंगर हती, का तोरी न हती? और जब बिक गई तो का तोरे वस में न हती? तेंने अपने हिए में जा बात काय सोची? तें मान्सन से नोईं, परन्त परमेसुर से लाबरी बोलो।
सो अब अपनी देह की अभलाखा हां पूरो न करो, परतिरिया संगत करबे की अभलाखा और गन्दे काम, बुरय विचार, और दूसरन की बस्तन को लालच न करो, कायसे जे सब मूरत की पूजा जैसे आंय।
कायसे हम पेंला, मूरख और परमेसुर की अग्या न मानबेवाले, और दुबधा में हते, और भांत भांत की चाहना करत हते, और मजा मौज चाहत हते और अदावट धरें हते, और दूसरन को बुरओ सोचत हते, और बहुत घिना हते और दूसरन से बैर मानें हते।