20 फिन ऊ ने कओ; जो कछु मान्स में से कड़त आय, ओई मान्स हां अशुद्ध करत आय।
पर जो मों से कड़त आय, बो मन से कड़त आय, और बो मान्स हां अशुद्ध करत आय।
ऊने उत्तर दओ; जौ भी लिखो है कि मान्स केवल रोटी से नईं, पर हर एक बोल से जो परमेसुर के मों से कड़त आय जीयत रै है।
ऐसी तो कौनऊं चीज नईंयां जौन मान्स में बाहर से समा के अशुद्ध करै; लेकिन जौन चीजें मान्स के भीतर से कड़त आंय, बेई ऊहां अशुद्ध कर देती आंय।
कायसे भीतर से यानी मान्स के मन से, बुरई-बुरई चिन्ता व्यभिचार।
जे सब बुरई बातें भीतर से ही कड़त आंय और मान्स हां अशुद्ध करत आंय।
परन्त इन ने जौन लेवी परवार के न हते, इब्राहीम से दसवांस लओ, और जिन हां प्रतिज्ञाएं मिलीं हतीं उन हां आसीसें दईं।
जीभ सोई एक आग आय; जीभ हमाई देंया में पाप कौ एक संसार आय, बा सबरी देयां पे कलंक पोतत आय, बा भवचक्र में आग लगा देत आय और नरक कुण्ड की आग से बरत रैत आय।
तुम में न्याओ और झगड़ा कां से आ गए? का देयां के भोग विलास से नईं जौन हमाई देयां में बिराजे भए आंय?