17 जब ऊ भीड़ के ऐंगर से घर में गओ, तो ऊके चेलन ने ई कनौत के बारे में ऊसे पूछो।
और चेलन ने ऐंगर आके ऊसे कई, तें उन से कनौत में बातें काय करत आय?
फिन बो भीड़ हां छोड़के घरै आओ, और ऊके चेला ऊके ऐंगर आके कैन लगे, खेत के जंगली दाने की कनौत हम हां समझा दे।
जा सुन के, पतरस ने ऊसे कई, जा कनौत हम हां समजा दे।
कैऊ दिना के बाद ऊ फिन कफरनहूम में आओ और सुनो गओ, कि ऊ घर में आय।
और ऊ घर में आओ: और इतनी भीड़ इकट्ठी भई, कि बे रोटी तक न खा पाए।
जब ऊ अकेलो रै गओ, तो ऊके संगियन ने ऊ बारह समेंत ऊसे ई कनौत के बारे में पूछो।
और बिना किस्सा कएं उनसे कछु भी न कैत हतो; लेकिन अकेले में खुद के निजी चेलन हां सबरी बातन कौ मतलब बतात हतो।
(अगर कोऊ के सुनबे के कान होबें तो सुन ले)।
ऊ ने उनसे कओ; काय तुम भी ऐसे नासमझ आव? काय तुम नईं जानत, कि जौन चीज बाहर से मान्स के भीतर जात आय, बा ऊहां अशुद्ध नईं कर सकत?
जब ऊ घर में आओ, तो ऊके चेलन ने अकेले में ऊसे पूछो, हम ऊहां काय न निकाल सके?