42 और बिटिया तुरतईं उठके चलन फिरन लगी; कायसे कि बा बारह साल की हती। और ई पै लोग भौत अचम्भे में हो गए।
ईपे सब जनें अचम्भा करत भए आपस में बतकाव करन लगे कि जा का बात आय? जौ तो कोनऊं नओ उपदेस आए! ऊ अधिकार के संग्गै अशुद्ध आत्मन हां भी आज्ञा देत आय, और बे ऊ की आज्ञा मानत आंय।
और बे भौत डरा गए और एक दूसरे से बोले; जौ को आय, कि आंधी और पानी तक ऊ की आज्ञा मानत आंय?
और बिटिया कौ हाथ पकड़ के ऊसे कओ, “तलीता कूमी”; जी कौ मतलब आय कि “ए बिटिया, मैं तोसे कैत आंव, उठ”।
फिन ऊ ने उनहां चिता के आज्ञा दई, कि जा बात कोऊ जान न पाबै और कओ; कि ऊहां कछु खाबे के लाने दओ जाए।
तब ऊ उनके ऐंगर नाव पै आओ, और हवा रुक गई: और बे भौत अचम्भो करन लगे।
और बे भौत अचम्भे में होकें कहन लगे, ऊ ने जो कछु करो आय सब अच्छो करो आय; ऊ बैहरन हां सुनबे की, और बौरन हां बोलबे की ताकत देत आय।