31 ऊके चेलन ने ऊसे कओ; तें देखत आय, कि भीड़ तोपे गिरी पड़त आय, और तें कैत आय; कि कीने मोहां छुओ?
तब बे ऊके संग्गै चले; और बड़ी भीड़ ऊके पाछें हो चली, इतै लौ की लोग ऊ पे गिरे पड़त हते।
यीशु ने तुरतईं खुद में जान लओ, कि मोय में से ताकत निकली आय, और भीड़ कोद मुड़के पूछो; मोरो उन्ना कीने छुओ?
तबई ऊ ने ऊहां देखबे के लाने जीने जौ काम करो हतो, चारऊ कोद नजर दौड़ाई।
ई पे यीशु ने कओ, मोय की ने छुओ? जब सबरे मुकरन लगे, तो पतरस और ऊके संगियन ने कओ; हे स्वामी, तोय तो भीड़ दबाए डालत आय और तो पे गिरी पड़ रई आय।
जब संजा होन लगी, तो प्रेरितन ने आके यीशु से कओ, भीड़ हां विदा कर, कि चारऊं कोद के गांव और बसतियन में टिकें, और भोजन कौ जतन करें, कायसे हम इते वीरान जांगा में आंय।