जे तुमाई प्रेम सभा में तुमाए संग्गै खात पियत आंय, और जैसे समुन्दर में चट्टान दबी रैत आय, ऊंसई अपने पेट के लाने कमाई करबेवारे रखनवारे आंय; जौन मानो बिना जल के बादरे घांई आंय, जिन हां बैहर उड़ा देत; और पतझड़ में जैसो पेड़ो हो जात, जैसे मर गओ होबै, और बे ऐसे आंय जैसे जड़ से पट गए होबें।