32 लेकिन जब बोओ गओ, तो जमके सबरे साग पातन से बड़ो हो जात आय, और ऊ की बड़ी डगालें निकलत आंय, कि आकास की चिरईयां ऊके छांयरे में बसेरो कर सकत आंय।
जौ सब दानों से हल्को होत आय पर जब बढ़ जात आय तो सब साग पात से बड़ो हो जात है; और ऐसो पेड़ बन जात आय, कि आकास के पंछी आके ऊकी डारियन पे बसेरा करत आंय।
ऊ राई के दाने कैसो आय; कि जब धरती में बोओ जात आय तो धरती के सबरे बीजन से छोटो होत आय।
और ऊ उन हां ई तरहां के भौत से किस्सा सुना सुना के उनकी जितनी समझ हती उतनो बचन सुनात हतो।