11 मैं तोय से कैत आंव; उठ, अपनी खटिया उठाके अपने घरै चलो जा।
ऊ ने ऊ पै तरस खाके हाथ बढ़ाओ, और ऊहां छूके कओ; मैं चाहत आंव कि तें साजौ हो जा।
लेकिन जीसे तुम जान लेओ कि मान्स के बेटा हां धरती पै पाप क्षमा करबे कौ भी अधकार आय (ऊ ने ऊ लकवा के मारे से कओ)।
और ऊ उठो, और तुरतईं खटिया उठा के और सब के सामूं से निकल के चलो गओ, ई पै सबरे अचम्भे में भए, और परमेसुर की बड़वाई करके कैन लगे, कि हमने एैसो कभऊं नईं देखो।
आत्मा तो जीवन देत आय, सरीर से कछु लाभ नईंयां, जौन बातें मैं ने तुम से क ईं बे आत्मा और जीवन आंय।