34 और उन से कओ; मोरो मन भौत उदास आय, इतै लौ कि मैं मरबे पै आंव: तुम इतै रुको और जागत रऔ।
फिन ऊने उन से कई; मोरो मन बिलात उदास आय, इते लौ कि मैं मरबे पे आंव: तुम इतईं रुकियो, और मोरे संग्गै जगत रहियो।
अब मोरो जी बेचैन हो रओ आय। ई लाने अब मैं का कहों? हे बाप, मोय ई घड़ी से बचा? परन्त मैं ई मन्सा से ई घड़ी लौ पोंचो आंव।
सबरी बातन को अखीर तुरतईं होबेवारो आय; ई लाने संयमी होकें बिन्तवाई के लाने हुसयार रओ।
हुसयार रओ, और जागत रओ, कायसे तुमाओ बिरोधी शैतान, गरजबे वाले नाहर घांई ई ताक में रैत आय, कि कीहां फाड़ खाबै।