12 अखमीरी रोटी के त्योहार के पहले दिना, जी में लोग फसह परब की बलि चढ़ात हते, यीशु के चेलन ने ऊसे पूंछो, तें कहां चाहत आय, कि हम जाके तोरे लाने फसह परब कौ भोजन खाबे की तईयारी करें?
यीशु ने ऊसे कई, अब तो ऐसई होन दे, कायसे हमाए लाने जौई साजो आय कि ई तरहां ऐसई सबरी धार्मिकता हां पूरो करबें, तब ऊने ऊकी बात मान लई।
दो दिना बाद फसह और अखमीरी रोटी कौ त्योहार होबे वालो हतो: और बड़े पुजारी और धरम पंडित ई बात की तलाश में हते, कि ऊहां काय न छल से पकड़ के मार डालें।
बे जौ सुन के खुस भए, और ऊहां रुपईया दैबो मंजूर करो, और जौ मौका ढूंढ़न लगो कि ऊहां कौनऊं तरीका से पकड़वा देबे।
ऊ ने अपने चेलन में से दो चेलन हां जौ कै के भेजो, कि नगर में जाओ, और एक मान्स पानी कौ मटका उठाएं भए तुमें मिल है, ऊके पछाऊं हो लईयो।
अकेले जब समय पूरो भओ, तो परमेसुर ने अपने पुत्र हां पठैओ, जो स्त्री से जन्मो, और नैम के आधीन भओ।