हे कपटी शास्त्रियो और फरीसियो तुम पे श्राप! कायसे तुम मान्सन के विरोध में सरग के राज्य कौ द्वार बन्द कर देत आव, तुम न तो खुद जात आव और न जाबे वारन हां भीतर जान देत आव।
हे ढोंगी शास्त्रियो और फरीसियो तुम पे श्राप! कायसे दिखाबे के लाने देरी लों प्रार्थना करत भए भी तुम बिधवाओं के घरन हां खा जात आव, ई लाने तुम हां भारी दण्ड मिल है।