21 पतरस हां बा बात याद आई, और ऊ ने ऊसे कओ, हे देवपुरुष, देख, जौ अंजीर कौ पेड़ जीहां तेंने श्राप दई हती सूख गओ आय।
और गैल के मजारें एक अंजीर कौ पेड़ देख के ऊके ऐंगर गओ, पर पत्तन हां छोड़के कछु नईं मिलो तब ऊने कई, अब से तोमें कभऊं फल नईं लगें; अंजीर कौ पेड़ ओई घड़ी सूख गओ?
और बाजारों में मान सम्मान और लोगन से गुरू कहलाबो उन हां, पुसात आय।
पर तुम गुरू न कहलाईयो; कायसे तुमाओ एकई गुरू आय: और तुम सब भईया आव।
तब बो बांई कोद वारन से कै है, हे श्रापित लोगो, मोय से दूर होकें ऊ अनन्त आगी में जा पड़ो, जौन शैतान और ऊके दूतन के लाने तईयार करी गई आय।
ओई बेरा ऊके चेलन ने ऊसे बिनती करी, हे गुरू, कछु खा ले।
हमाओ पिरभु आबेवारो आय।