9 कायसे मैं भी सरकारी अफसर आंव, और मोरे तरें सिपाही आंय, और जब मैं एक से कहत हों, जा, तो बो जात आय; और दूसरां हां कि आ, तो बो आत आय; और जब अपने चाकर से कहत हों, कि जौ कर, तो बो करत आय।
ईपे सब जनें अचम्भा करत भए आपस में बतकाव करन लगे कि जा का बात आय? जौ तो कोनऊं नओ उपदेस आए! ऊ अधिकार के संग्गै अशुद्ध आत्मन हां भी आज्ञा देत आय, और बे ऊ की आज्ञा मानत आंय।
मैं सरकारी नौकर आंव; और सिपाई मोरे वस में आंय, मैं एक से कैत आंव, जा, तो ऊ जात आय; और दूजे से कैत आंव, आ, तो बो आत आय; और मैं अपने चाकर से कै त आंव जौ कर, तो बो ऊ करत आय।
हे चाकरो, अपने मालिक की बात मानो और सबरी बातन में उन हां खुस राखो, और ऐसो न करो कि जब बे तकत होबें तो दिखाबे हां तुम से डरके करें, पूरो मन लगाके काम करो।