4 और उन ने आपस में यीशु हां मसकईं पकड़बे और मार डारबे की साजिस रची।
यहोवा परमेसुर ने जितेक बनैले पसु बनाए हते, उन सब में सांप चतुर हतो; ऊने बईयर सें कई, “का सांची आय कि यहोवा परमेसुर ने कई, ‘तुम ई बगिया के कौनऊं पेड़ कौ फल नें खईयो?’”
तब फरीसी बायरै कड़े और ऊके खिलाफ सलाह करी, कि ऊहां कैसऊ मार डारें।
हे सांपो, और करैत के सपोलो, तुम नरक के दण्ड से कैसे बच पा हौ?
दो दिना बाद फसह और अखमीरी रोटी कौ त्योहार होबे वालो हतो: और बड़े पुजारी और धरम पंडित ई बात की तलाश में हते, कि ऊहां काय न छल से पकड़ के मार डालें।
ओई दिना से उन ने ऊहां मार डालबे कौ कुचक्र रचो।
सबई छल और मूरखता से भरे हे शैतान की लड़ेर, तें जौन सब धर्मन कौ बैरी आय, का तें प्रभु की सूदी गैल हां टेड़ो करबो न छोड़ है?
ऊ ने हमाई जाति से चालाकी कर के हमाए बापदादन के संग्गै इते लौ बुरओ वैवार करो, कि उन हां अपने बाल बच्चा तक मेंक देने पड़े कि बे जीयत न रैबें।
अकेले मोहां डर आय कि जैसे सरप ने होसियारी से हव्वा हां बिलोर दओ, ऊंसई तुमाओ मन को सीधोपन और साजोपन जौन मसीह के संग्गै होबो चईये कहूं बिगड़ न जाबै।