9 करीब पांच जौन संजा बेरा मजूरी पे लगाए गए हते, तो उन हां एक एक रुपईया मिलो।
जब पेंला लगाये गए मजूर आए, उन ने समझी कि हम हां बिलात मिल है; मगर उन हां सोई एकई एक रुपईया मिलो।
ऊने हर मजूर हां एक रुपईया रोज पे, उन हां अपनी दाख की बगिया में पठैव।
संजा होबे पे दाख की बगिया के मालक ने मुनीम हां टेर के कई, मजूरन हां टेर, और पाछें आबेवालन से शुरू करके, पेंला आबेवालन लौ सब हां मजूरी दै दे।