यहोवा परमेसुर ने जितेक बनैले पसु बनाए हते, उन सब में सांप चतुर हतो; ऊने बईयर सें कई, “का सांची आय कि यहोवा परमेसुर ने कई, ‘तुम ई बगिया के कौनऊं पेड़ कौ फल नें खईयो?’”
कायसे हम अपने हिये की जा बात मानत आंय, कि और ऊ पै बड़वाई करत आंय, कि संसार में और तुमाए बीच हमाई चाल परमेसुर को भाबेवारी पवित्तर और सांची हती, और ऐसो संसार के ज्ञान से नोंई, अकेले परमेसुर की दया से भई।
कि तुम ई संसार में बिन दोस के सूदे सादे परमेसुर के जने होकें ई बुरई और टेढ़े संसार में बिन पाप बने रओ, (उन मान्सन के बीच जिन्हें तुमें जीवन की बातें बता के, मानो एक जलत भओ दिया जैसे आव)।