61 एक और ने सोई कओ; हे पिरभु, मैं तोरे पांछू हो लें हों; पर पेंला मोय जान दे कि अपने घर के मान्सन से विदा ले आंव।
जदि कोऊ मोरे ऐंगर आबे, और अपने बाप और मताई और अपनी ब्यावता और बच्चन और भाईयन और बहनों और अपने प्रान को सोई अप्रिय न जाने, तो बो मोरो चेला नईं हो सकत।
तो मोरो मन ठण्डो न पड़ो, कायसे भईया तीतुस मोहां नईं मिलो; सो उनसे विदा लैके मैं मकिदुनिया कोदाऊं चलो गओ।