और जहां कऊं ऊ गांवन, नगरन में, या बस्तियन में जात हतो, तो मान्सन बीमारन हां बजारन में रख के ऊसे बिनती करत हते, कि बो उनहां अपने उन्ना के छोर हां छू लैन दे, और जितने ऊहां छुअत हते, सबरे ठीक हो जात हते।
ऊके गोड़न के ऐंगर, बो रोत भई, पाछूं ठांड़ी होकें ऊके गोड़न हां अंसुअन से भिगोन लगी, और अपने मूड़ के बाल से पोंछन लगी और ऊके गोड़े बेर-बेर चूम के उन पे इत्र मलो।