मैं का आंव और मोरी परजा का आय कि हम हों ई रीत सें अपनी मरजी सें तोहों भेंट दैबे की सक्ति मिले? तोरेई सें तौ सब कछु मिलत आय, और हमने तोरे हाथ सें पाकें तोहों दओ आय।
उन ने घर के भीतरै मोंड़ा हां ऊकी मताई मरियम के संग्गै देखो, और धरती पे झुक के ऊहां परनाम करो; और अपनो अपनो झोला खोल के ऊहां सोना, लोहबान, और गन्धरस की भेंट चढ़ाई।
ऊ ने जा ई लाने नईं कई, कि ऊहां कंगालन की चिन्ता हती, परन्त ई लाने कि बो भड़या हतो और ऊके ऐंगर रुपईयन कौ थैला रैत हतो, और जौन कछु ऊ में डालो जात हतो, बो ऊहां निकाल लेत हतो।
अन्ताकिया की मडण्ली में कछु आगमवक्ता और गुरू हते; जैसे बरनाबास और शमौन जो नीगर कहात आय; लूकियुस कुरेनी, और देस की चौथाई के राजा हेरोदेस कौ दूधभाई मनाहेम और शाऊ ल।
और साजो काम करबेवारी रई होबै, जीने अपने लरका वारन हां ठीक से पालो होबै; पाहुरन की सेवा खुसामद करी होबै, पपित्तर जनन के गोड़े धोय होबें, और दुखियन की मदद करी होबै, और अच्छे कामन में मन से लगी रई होबै।