17 कछु लुको नईंयां, जौन उजागर न होय; और न कछु छिपो आय, जौन जानो न जाए, और उजागर न होय।
ई लाने उन से न डरियो, कायसे कछु ढको नईंयां, जौन उगारो न जै है; और न कछु लुको आय, जौन जानो न जै है।
कायसे कि कौनऊं चीज छिपी नईंयां, बल्कि ईहां कि दिखान लगै।
सो जब लौ पिरभु न आबै, बेरा से पेंला कोऊ बात कौ न्याय न करो: ओई तो अंधयारे की लुकी बातें उजारे में दिखा है, और हियों के सोचों हां उजागर कर है, तब परमेसुर कुदाऊं से सबरन की बड़वाई हुईये।