कि रानी वशती हों राजमुकट पहने भए राजा के सामूं ल्याओ; जीसें देस देस के मान्सन और हाकमन हों ऊकी खूबसूरती के दरसन हो जाबें; कायसें बा देखबे में सुन्दर हती।
उतै ऊनें अपने राज के तीसरे साल में अपने सब हाकमन और कर्मचारियन हों भोज दओ। फारस और मादै के सेनापति और प्रान्त-प्रान्त के प्रधान और हाकम ऊके सामूं आ गए।
तीसरे दिना एस्तेर अपने राजकीय उन्ना पैरकें राजभवन के भीतरी आंगन में जाकें, राजभवन के सामूं ठांड़ी हो गई। राजा तौ राजभवन में राजगद्दी पै भवन के दोरे के सामूं बैठो हतो;
तब मोर्दकै नीले और सफेद रंग के राजसी उन्ना पैरें और मूंड़ पै सोने कौ बड़ो मुकट धरें भए और पतले सूत सें बनो भओ सन और भटा रंग कौ बागा पैरें भए, राजा के अगारें सें कड़ गओ, और शूशन नगर के जनें आनन्द के मारे चिल्या उठे।