जब तुम उपास करौ, तो कपटियन घांई तुमाए मों पे उदासी नईं दिखै, कायसे बे अपनो मों बनाए रहत आंय, जीसे मान्स उन हां उपासो जानें; मैं तुम से सांची कहत आंव, कि बे अपनो फल पा चुके।
ई लाने जब तें दान पुन्न करे, तो अपने आंगू बाजे न बजवा, जैसो कपटी सभाओं और गैलों में करत आंय, जीसे लोगबाग उन की बड़वाई करें, मैं तुम से सांची सांची कैत आंव, कि बे अपनो फल पा चुके आंय।
जब तें बिन्तवाई करे, तो कपटियों जैसो न बन कायसे मान्सन हां दिखाबे के लाने सभाघरन और गैलों के मोड़ पे ठांड़े होकें बिन्तवाई करबो उन हां उमदा लगत आय; मैं तुम से सांची कैत आंव, कि बे अपनो फल पा चुके।