57 पर पतरस ने जौ कै कें मैट दओ, कि हे बईयर, मैं ऊहां नईं जानत।
पर जौन मान्सन के आंगू मोय नईं मान है, मैं भी ऊहां अपने बाप के आंगू जौन सरग में आय नईं मान हों।
पर ऊ ने मना करत भए उन सब के सामूं कई, मैं नईं जानत कि तें का कै रई आय।
पर जौन कोऊ मान्सन के सामूं मोय नकार दै है, परमेसुर के सरगदूतन के सामूं ऊहां नकार दओ जै है।
और एक चाकरनी ने ऊ ए आगी के उजाले में बैठो तक के और ऊ कुदाऊं तक के कैन लगी, जौ तो सोई ऊके संग्गै हतो।
तनक बेरा पांछू कोऊ और ने पतरस हां तक के कओ, तें सोई उनईं में से आय: पतरस ने कओ; हे मान्स मैं नईं आंव।
शमौन पतरस ठांड़ो भओ ताप रओ हतो। तब उन ने ऊसे कई; का तें सोई ऊके चेलन में से आय? ऊ ने मेंट के कई, मैं नईं आंव।
तब पतरस फिन मेंट गओ और तुरतईं मुरगा ने बांग दई।
ई लाने हिया फेरो और लौट आओ कि तुमाए पाप मिटाए जाएं, जी से पिरभु के सामूं से चैन सान्ति के दिन आएं।
परन्त जब हम अपने पापन हां मानें, तो बे हमाए पापन हां क्षिमा कर हैं, और हम हां सबरी अधरम की बातन से सुद्ध करबे में सांचे आंय।