4 कायसे उन सब ने अपनी अपनी बढ़ती में से दान में कछु डालो आय, पर ईने अपनी घटी में से अपनी सारी जीविका डाल दई आय।
कायसे सब ने अपने धन की बढ़ोत्तरी में से डालो आय, लेकिन ईनें अपनी घटी में से जौन ऊकौ हतो, यानी पूरी कमाई डाल दई आय।
उन में से हल्के ने अपने बाप से कओ, घर के मालपानू में से जौन मोरो हींसा होय, बो मोहां दे देओ। ऊ ने उन में अपनो मालपानू बांट दओ।
तब ऊ ने कओ; मैं तुम से सांची कैत आंव कि ई कंगाल बिधवा ने सब से बढ़ के डालो आय।
और एक बईयर जीहां बारह बरस से रकत बहवे कौ रोग हतो, और बो अपनी सबरी कमाई बैद्यों के पांछू लगा चुकी हती, पर कौनऊं के हाथ से साजी न हो पाई हती।
उन में कौनऊ लौ गरीब गुरवा न हतो; कायसे जी लौ जमीन हती, बे औरें ऊहां बेच बेच के, बिकी भई बस्त कौ दाम लैके, प्रेरितन के गोड़न पे धरत हते।
कायसे मन से दान दओ जाबे तो बो ग्रहण होत आय, जौन उन लौ आय अकेले ऊसे जौन उन लौ नईंयां।