18 दूसरे ने आन के कओ; हे मालक मैं ने तोरी मोहर से पांच और मोहरें कमाई आंय।
जौन उमदा धरती मैं बोओ गओ, बो जौ आय, जौन बचन हां सुनके समझत आय, और फल लात आय, कोऊ सौ गुनो, कोऊ साठ गुनो, और कोऊ तीस गुनो।
और जीहां दो रुपईया मिले हते, ऊने भी आके कई; हे मालक, तेंने मोय दो रुपईया दए हते, हेर, मैं ने दो और कमाए आंय।
और जौन साजी धरती में बोए गए, जे बे आएं, जो बचन सुनके अपना लेत और फल लिआत आंय, कौनऊं तीस गुनौ, कोनऊं साठ गुनौ, और कौनऊं सौ गुनौ।
सो ऊने अपने दस चाकर बुला के उन हां दस मोहरें दईं, और उन से कओ, मोरे लौट आबे लौ लेन देन करियो।
मालक ने ऊ चाकर से कओ; धन्न आय हे भौतई साजे चाकर, तें तनक में बिसवासी कड़ो अब दस नगरों पे अधकारी हो जा।
मालक ने ऊसे सोई कओ, तें सोई पांच नगरों कौ अधकारी हो जा।
कायसे मन से दान दओ जाबे तो बो ग्रहण होत आय, जौन उन लौ आय अकेले ऊसे जौन उन लौ नईंयां।