16 तब पेंले ने आके बताओ, हे मालक तोरी मोहर से मैं ने दस और मोहरें कमाई आंय।
सो ऊने अपने दस चाकर बुला के उन हां दस मोहरें दईं, और उन से कओ, मोरे लौट आबे लौ लेन देन करियो।
जब बो राजपद पा के लौट आओ, तो ऐसो भओ कि ऊ ने अपने चाकरन हां जिन हां रकम दई हती, अपने ऐंगर बुलाओ, कि मालूम करे कि उन ने लेन-देन से का कमाओ।
मालक ने ऊ चाकर से कओ; धन्न आय हे भौतई साजे चाकर, तें तनक में बिसवासी कड़ो अब दस नगरों पे अधकारी हो जा।
परन्त मैं जो कछु आंव, परमेसुर की दया से आंव: और उनकी जौन दया मो पे भई आय, बा अकारथ नईं गई; परन्त मैंने उन सबरन से बढ़के मैनत सोई करी: जानो कि जौ मोरी कुदाऊं से नईं भओ परन्त परमेसुर की दया से जौन मो पे हती।