3 और ओई नगर में एक बिधवा रैत हती: जौन ऊके ऐंगर आ आकें कओ करत हती, कि मोरो न्याव चुका के मोय मु ई से बचा।
जब लौ तें अपने साहूकार के संग्गै गैल में है, तो ऊसे जल्दी मेलजोल कर ले कहूं ऐसो न होए कि साहूकार तोय न्यायी हां सौंप दे, और न्यायी तोय सिपाई हां सौंप दे और तें जेहल में डार दओ जाए।
कोऊ नगर में एक न्यायधीश रैत हतो; जौन न परमेसुर से डरत हतो और न कौनऊ मान्स की परवाय करत हतो।
न्यायधीश ने तो कितने टैम लौ टालमटोल करी पर आखर में हिये में सोस के कैन लगो, जौ सई आय कि न मैं परमेसुर से डरत आंव, और न मानस की कछु परवाय करत आंव।
पर जा बिधवा मोय सतात रैत आय, ई लाने मैं ऊकौ न्याव चुका हों कऊं ऐसो न होबे कि बा बेर बेर आके अन्त में मोरी नाक में दम करे।