4 मैं समज गओ, कि का कर हों: जीसे जब मैं भण्डारी के काम से छुड़ाओ जांओं तो मान्स मोय अपने घरों में ले लेबें।
तब भण्डारी सोचन लगो, अब मैं का करों? कायसे अब मोरो मालक मोसे भण्डारी कौ काम छीन रओ आय: माटी तो मोसे खोदी नईं जात: और भीख मांगबे से मोय सरम आ है।
तब ऊ ने अपने मालक के दैनदारन हां एक एक कर के बुलाओ और पैले से पूंछो, कि तो पे मोरे मालक कौ कितेक कर्जा आय?
और मैं तुम से कैत आंव, कि अधरम के धन से अपने लाने मित्र बना लेओ; जीसे जब ऊ बड़ा जाबै, तो बे तुम हां हमेसा के लाने अपने घरों में अपना लेबें।
जा समज बा नईंया, जौन ऊपरै से उतरत आय पे संसारी, और अपुन की, देयां की, और शैतान छलिया की आय।