ऊ ने बाप हां उत्तर दओ, कि तक; मैं इतने बरसन से तोरी सेवा कर रओ आंव, और कभऊं तोरो हुकम नईं टालो, तौ भी तेंने मोय एक बकरी को बच्चा लौ न दओ, कि मैं दोस्तन के संग्गै खुसी मनातो।
फरीसी ठांड़ो होकें अपने हिये में जौ बिन्तवाई करन लगो, कि हे परमेसुर मैं तोरो धन्नवाद करत आंव, कि मैं और मान्सन घांई अन्धेर करबेवारो, अन्यायी और परत्रिया भोगी नईंयां, और न ई चुंगी लेबेवारे के घांई आंव।