जब घर कौ मालक उठ के दोरो बन्द कर चुको होय, और तुम बायरें ठांड़े भए दोरो खटखटा के कैन लगो, हे पिरभु, हमाए लाने खोल दे, और बो उत्तर देबे कि मैं तुम हां नईं चीनत, तुम कां के आव?
परन्त परमेसुर की बातें जीमें नीं जैसी बैठ गई आंय, उन पै ऐसी छाप लगी आय कि परमेसुर उन हां चीनत आंय; जो कोनऊं परमेसुर को नाओं जपत आय, बो अधरम से बचो रै है।