परन्त मैं तुमन से कैत हों, कि जौन कोनऊ अपने भईया पे खुन्सयाबे, ऊहां कचहरी में सजा मिल है: और जो कोऊ अपने भईया हां निकम्मो कै है बो पंचायट में दोषी ठहर है; और जो कोऊ कैबे “अरे मूरख” बो नरक की आगी के दण्ड के जोग हुईये।
ई बात में कोई अपने भईया हां न ठगे, और न ऊ की भली मंसा को गलत फायदा उठाए, परमेसुर ऐसे मान्स हां उनके पापन के लाने दण्ड दै है; जैसो हम ने पेंला बता के चिता दओ हतो।
और ऊ ने ऊं ची टेर लगाई; परमेसुर से डरो; और उन के गुणगान करो; कायसे अब न्याय की बेरा आ गई आय, सो ऊ को भजन करो, जीने सरग और धरती हां और समुन्दर और पानू के झरने बनाए।
हे पिरभू, को तुम से न डरा है? और तुमाए नाओं को गुनगान न कर है? कायसे तुमईं पवित्तर आव, और सबरी जातन के मान्स आके तुम हां दण्डवत कर हैं, कायसे जो न्याय तुम ने करे आंय बे भले और अच्छे आंय।