34 ऊके ऐंगर पोंच के, ऊ ने ऊके घाव पे तेल और दाखन कौ रस डाल के पट्टी बांधी, और अपनी सवारी पे चढ़ा के ऊहां सराय में ले गओ, और ऊ की सेवा टहल करी।
सराय में जब एक ने अपने गधा हों चारा दैबे के लाने अपनो बोरा खोलो, तब ऊकौ रुपईया बोरे के मों पै रखो दिखाई पड़ो।
जो कछु बा कर सकी, सो ऊ ने करो, ऊ ने मोरे गाड़े जाबे की तईयारी में पैलऊं से मोरी देह पै इतर मलो आय।
तब एक सामरी यात्री उते आओ, ऊ यात्री ने ऊ ए तको और ऊ पे तरस खाओ।
दूसरे दिना दो दीनार काड़ के सराय के मालक हां दए, और कओ; ईकी सेवा टहल करियो, और जौन कछु तोरो और लग है, बो मैं लौटबे पे भर दें हों।
और बो अपनो पहलौठो पूत जनी, और ऊहां उन्ना में लपेट के चरनी में धरो; कायसे उन के लाने सराय में जांगा न हती।
परन्त जदि तोरो बैरी भूखो होबै, तो ऊ ए खाना खबा; जदि प्यासो होबै, तो ऊ ए पानी पिबा; कायसे ऐसो करबे से तें ऊके मूड़ के ऊ परै आग के अंगारन कौ ढेर लगा है।
ध्यान धरो, कोई से बुरय से बुरो न करो; परन्त भला करो।