27 ऊ ने उत्तर दओ, कि तें पिरभु अपने परमेसुर से अपने सबरे हिये और अपने सबरे प्रान और अपनी सबरी बल सक्ति और अपनी सबरी बुद्धि से प्रेम रख; और अपने पड़ोसी से अपने जैसो प्रेम रख।
कायसे जौ कि परतिरिया भोग न करियो, हत्या न करियो; भड़याई न करियो, लालच न करियो; और इन हां छोड़ और कोऊ हुकम सोई होबे तो सबरी बातें ईमें पूरी होत आय, कि अपने पड़ोसी से अपने जैसो प्रेम राख।
पिरभू कैत आय, कि अब जौन कौल मैं उन के संग्गै बांध हों, बा ऐसी आय, कि मैं अपने नैम हां उनके हिये और जी में डाल हों, और बे औरें मोरे जनें हुईयें और मैं उन को परमेसुर हुईयों।
जदि तुम पवित्तर पोथी के ई बचन अनसार बैवार करत आव, कि तें अपने पड़ोसी से अपने घांई प्रेम कर, तो सांचई तुम परमेसुर के राज की नैम हां पूरो करत आव, तो साजो करत आव।