25 और तको, एक व्यवस्था पण्डत आओ; और जौ कै के, यीशु हां परखन लगो: कि हे गुरु, बैकुंठ कौ जीवन कौ अधकारी होबे हां मैं का करों?
और जब ऊ निकल के गैल में जात हतो, तो एक मान्स ऊके ऐंगर दौड़त भओ आओ, और ऊके आंगू टिंगरे धर के ऊसे पूछो, हे अच्छे गुरू, अनन्त जीवन कौ हक्कदार होबे के लाने मैं का करों?
यीशु ने उन हां उत्तर दओ, मूसा ने तुम हां का आज्ञा दई आय?
और धरम पंडितन में से एक ने आके उन हां बहस करत सुनो, और जौ जान के कि ऊ ने उन हां अच्छे तरीका से जवाब दओ; ऊसे पूछो, सबसे मुख्य आज्ञा कौन सी आय?
कायसे मैं तुम से कैत आंव, कि बिलात आगमवकता और राजन ने चाहो, कि जौन बातें तुम तकत आव, तकें; पर न तकीं और जौन बातें तुम सुनत आव सुनें, पर न सुनीं।
यीशु ने ऊसे पूंछो; कि नैम व्यवस्था में का लिखो आय? तें कैसे बांचत आय?
कोऊ मुखिया ने यीशु से पूंछो, हे उत्तम गुरु, अनन्त जीवन कौ अधकारी होबे हां मैं का करों।
पर फरीसियन और व्यवस्था पालकों ने ऊसे बपतिस्मा न लेके, परमेसुर की मनसा हां अपने बारे में टाल दओ।
बे ऊहां परखबे के लाने ऐसो कह रए हते, जीसे कि ऊ पै दोष लगाबे के लाने कोऊ बात मिले, परन्त यीशु झुक के अपनी उंगरिया से धरती पे लिखन लगो।
कायसे सरग को सब कछु नैम से मिलो, तो जौन बचन दए हते उन से नईं, अकेले परमेसुर ने तो इब्राहीम हां प्रतिज्ञा से दे दई।