23 जब ऊ की सेवा के दिना पूरे भए, तो बो अपने घरै चलो गओ।
और उनके भईया जौन गांवों में रैत हते, उनहों सात-सात दिना के बाद बारी बारी सें उनके संगै रैबे के लाने आने पड़त हतो,
जब बो बायरें कड़ो, तो उन से बोल न सको: सो बे जान गए, कि ऊने मन्दर में कोनऊं दर्शन पाओ आय; और बो उन से इसारो करत रओ, और गूंगो रह गओ।
इन दिनों के पाछें ऊ की घरवाली इलीशिबा गरभवती भई; और पांच मईना लौ अपने आप हां जौ कै कें छिपाए धरो।