11 ओई बेरा पिरभु कौ एक सरगदूत धूप की वेदी के दाएं कोद ठांड़ो भओ ऊहां दिखाई दओ।
सरगदूत ने ऊसे कई, कि मैं जिब्राईल आंव, जो परमेसुर के सामूं ठाड़ो रैत आंव; और मैं तोसें बातें करबे और तोय जौ भलो सन्देसो सुनाबे हां पठैओ गओ आंव।
सरगदूत ने ऊके ऐंगरे आके कओ; तोरी जय हो, पिरभु ने तो पे किरपा करी आय, पिरभु तोरे संग्गै आय।
तब सरगदूत ने उन से कई, नें डरो; कायसे हेरो मैं तुम हां बड़ी खुसी कौ भलो सन्देसो सुनात आंव, जो सबरे मान्सन के लाने हुईये।
और पिरभु कौ एक दूत उन के ऐंगर आ ठांड़ो भओ, और पिरभु कौ तेज उन के चारऊं कुदाऊ चमको, और बे बिलात डर गए।
और रात को पिरभु के एक सरगदूत ने कैदखाने के दोरे खोल के उन हां बायरें लाके कओ।
सरगदूत जौन को तरन तारन हो गओ; उनकी सेवा खुसामद को आंय।
और जब छठे सरगदूत ने तुरही फूंकी, सो जो सोने की वेदी परमेसुर के सामूं आय ऊके सींगों में से मैंने ऐसो शब्द सुनो।