परन्त जौन कनानी गेजेर में बसे हते उनहों एप्रैमियों ने उतै सें नें काड़ो, ई लाने बे कनानी उनके मजारें आज के दिना लौ बसे आंय, और बंधुआ मज़दूर के जैसे काम करत आंय।
सो उनोंरन ने नप्ताली के पहड़िया देस में गलील के केदेश हों, और एप्रैम के पहड़िया देस में शकेम हों, और यहूदा के पहड़िया देस में किर्यत-अर्बा (जौन हेब्रोन सोई कहात आय) अलग ठैराओ।