20 फिन जदि तें हमाई जा बात कोऊ पै परगट करे, तौ जौन कौल तेंने हम हों खिलाई आय ऊसें हम स्वतंत्र ठैरहें।”
तब जौन कोऊ तोरे घर के दोरे सें बायरें कड़े, ऊके खून कौ दोस ओई की मूंड़ पड़है, और हम निरदोस ठैरहें: परन्त जदि तोरे संगै घर में रैत भए कोऊ पै कोऊ कौ हाथ पड़े, तौ ऊके खून कौ दोस हमाई मूंड़ पै पड़है।
ऊने कई, “तुमाए बचनों के अनसार होबै।” तब ऊने उनहों बिदा करो, और बे चले गए; और ऊने लाल रंग की डोरी हों जंगला में बांध दओ।