31 कुलों के अनसार आशेरियों के गोत्र कौ हींसा नगरों और गांवों समेंत जौई ठैरो।
आशेर सें जो अन्न पैदा हुईये ऊ अच्छो हुईये, और ऊ राजा के जोग स्वादवारो भोजन दए करहै।
उम्मा, अपेक और रहोब भी उनके हींसा में ठैरे; ई तरहां बाईस नगर अपने-अपने गांवों समेंत उनहों मिले।
छटवीं चिठिया नप्तालियों के कुलों अनसार उनके नाओं पै कड़ी।