4 तब मनश्शे और एप्रैम नाओं यूसुफ के दोई मोंड़ों की संतान ने अपनौ-अपनौ हींसा लओ।
दूसरे कौ नाओं ऊने जौ कहकें एप्रैम रखो, कि “मोहों दुख भोगबे के देस में यहोवा परमेसुर ने फलवन्त करो आय।”
यूसुफ के बंस के तौ दो गोत्र हो गए हते, मतलब मनश्शे और एप्रैम; और ऊ देस में लेवियों हों कोऊ हींसा नें दओ गओ, केवल रहबे के नगर, और पसु-धन रखबे के लाने चराईयां उनहों मिलीं।
एप्रैमियों की सीमा उनके कुलों के अनसार जा ठैरी; मतलब उनके हींसा की सीमा पूरब सें सुरू होकें अत्रोत-अदार सें होत भए ऊपरवारे बेथ-होरोन लौ पोंची;
यूसुफ की संतान यहोशू सें कैन लगी, “हम तौ गिनती में मुतके आंय, कायसे अब लौ यहोवा परमेसुर हमें आसीस ही देत आओ आय, फिन तेंने हमाए हींसा के लाने चिठिया डालकें काए एकई हींसा दओ आय?”
बे देस के सात हींसा लिखें, यहूदा कौ गोत्र तौ दक्खिन कुदाऊं अपने हींसा में, और यूसुफ के घराने के मान्सन उत्तर कुदाऊं अपने हींसा में रएं।