कायसे मैं तुम से सांची कहत आंव, कि बिलात आगमवकतन और धर्मियन ने चाहो कि जौन बातें तुम हेरत आव, ऊहां हेरें, पर न हेरीं; और जौन बातें तुम सुनत आव, सुनो, पर न सुनीं।
जे सबरे जनें जौई बिसवास धरें मर गए; और जिन बस्तन की कई गई हती बे न पाईं; परन्त उन ने मानो कि आबेवारे दिना में ऐसो हुईये, अबै ई संसार में हम बाहरवारे परदेसी आंय।